27-11-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - हद के संसार की वाह्यात बातों में अपना टाइम वेस्ट नहीं करना है, बुद्धि में सदा रॉयल ख्यालात चलते रहें''
प्रश्नः-
कौन-से बच्चे बाप के हर डायरेक्शन को अमल में ला सकते हैं?
उत्तर:-
जो अन्तर्मुखी हैं, अपना शो नहीं है, रूहानी नशे में रहते हैं, वही बाप के हर डायरेक्शन को अमल में ला सकते हैं। तुम्हें मिथ्या अहंकार कभी नहीं आना चाहिए। अन्दर की बड़ी सफाई हो। आत्मा बहुत अच्छी हो, एक बाप से सच्चा लव हो। कभी लूनपानी अर्थात् खारेपन का संस्कार न हो, तब बाप का हर डायरेक्शन अमल में आयेगा।.
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सदा फ़खुर (नशा) रहे कि हम श्रीमत पर अपना परिस्तान स्थापन कर रहे हैं। वाह्यात किचड़पट्टी की बातों को छोड़ बड़े हुल्लास में रहना है।
2) अपने ख्यालात बड़े आलीशान रखने हैं। बहुत अच्छी रॉयल युनिवर्सिटी और हॉस्टल खोलने का प्रबन्ध करना है। बाप का गुप्त मददगार बनना है, अपना शो नहीं करना है।
वरदान:-
निमित्त कोई भी सेवा करते बेहद की वृत्ति द्वारा वायब्रेशन फैलाने वाले बेहद सेवाधारी भव
अब बेहद परिवर्तन की सेवा में तीव्र गति लाओ। ऐसे नहीं कर तो रहे हैं, इतना बिजी रहते हैं जो टाइम ही नहीं मिलता। लेकिन निमित्त कोई भी सेवा करते बेहद के सहयोगी बन सकते हो, सिर्फ वृत्ति बेहद में हो तो वायब्रेशन फैलते रहेंगे। जितना बेहद में बिजी रहेंगे तो जो ड्युटी है वह और ही सहज हो जायेगी। हर संकल्प, हर सेकण्ड श्रेष्ठ वायब्रेशन फैलाने की सेवा करना ही बेहद सेवाधारी बनना है।
स्लोगन:-
शिव बाप के साथ कम्बाइन्ड रहने वाली शिवशक्तियों का श्रंगार है ज्ञान के अस्त्र-शस्त्र।
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“मीठे बच्चे - तुम हो त्रिमूर्ति बाप के बच्चे, तुम्हें अपने तीन कर्तव्य याद रहें - स्थापना, विनाश और पालना'' | |||||
प्रश्नः- | देह-अभिमान की कड़ी बीमारी लगने से कौन-कौन से नुकसान होते हैं? | ||||
उत्तर:- | 1. देह-अभिमान वालों के अन्दर जैलसी होती है, जैलसी के कारण आपस में लून-पानी होते रहते, प्यार से सेवा नहीं कर सकते हैं। अन्दर ही अन्दर जलते रहते हैं। 2. बेपरवाह रहते हैं। माया उन्हें बहुत धोखा देती रहती है। पुरूषार्थ करते-करते फाँ हो जाते हैं, जिस कारण पढ़ाई ही छूट जाती है। 3. देह-अभिमान के कारण दिल साफ नहीं, दिल साफ न होने कारण बाप की दिल पर नहीं चढ़ते। 4. मूड ऑफ कर लेते, उनका चेहरा ही बदल जाता है। मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते। धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) मौलाई मस्ती में रहकर स्वयं को स्वतंत्र बनाना है। किसी भी बन्धन में नहीं बंधना है। माया चूही से बहुत-बहुत सम्भाल करनी है, खबरदार रहना है। दिल में कभी भी शैतानी ख्याल न आयें। 2) बाप द्वारा जो बेशुमार धन (ज्ञान का) मिलता है, उसकी खुशी में रहना है। इस कमाई में कभी भी संशयबुद्धि बन थकना नहीं है। स्टूडेन्ट लाइफ दी बेस्ट लाइफ है इसलिए पढ़ाई पर पूरा-पूरा ध्यान देना है।
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