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ईश्वरीय सेवा करने की 108 विधियाँ | 108 ways of doing service

 

ईश्वरीय सेवा करने की 108 विधियाँ | 108 ways of doing service

ईश्वरीय सेवा करने की 108 विधियाँ | 108 ways of doing service

पिछले रविवार की मुरली में बाबा ने कहा… सबमें विशेषताएं हैं, उन्हें सिर्फ कार्य में लगाना है, तो सहज सफलता मिल जाएंगी… तो आज आपको 108 सेवा-योग्य विशेषताएं भेज रहें हैं, इनमें से कोई एक द्वारा भी स्वयं और सर्व का कल्याण कर सकते … इन्हें प्रेम से स्वीकार करना जी!

मन्सा सेवा

वाचा सेवा

  • ज्ञान सुनाना, अनुभव सुनाना, निमन्त्रण देना, भाषण (कोर्स, मुरली, स्पेशल प्रोग्राम) करना, स्पीकर का इंट्रो देना
  • कमेंटरी द्वारा योग कराना

कर्मणा सेवा

  • स्टेज-माइक-म्यूजिक-लाइट वा audience सम्भालना… हॉल की सफाई, खुर्सी सेट करना
  • भोजन बनाना (रोटी, टोली बनाना-पैक करना, सब्जी काटना-बनाना)
  • टोली देना… कुछ समय गाड़ी देना, ड्राइव करना
  • मधुबन में यज्ञ-सेवा करना, गाइड बनना

सम्बन्ध-सम्पर्क से

  • किसी को ले आना (प्रोग्राम पे, सेन्टर वा मधुबन)
  • औरों को सेवा सिखाना, चान्स देना, आगे बढ़ाना

विशेषताओं द्वारा

  • कलाओं द्वारा (गाना, नाचना, कविता-गीत-लेख लिखना, रचनात्मकता)
  • कंप्यूटर सेवा (ग्राफिक डिजाइन, pamphlet बनाना, ईमेल, आदि)
  • सोशल मीडिया (WhatsApp, Facebook, YouTube, SMS) द्वारा अच्छे quotes, classes, songs, videos भेजना

और सेवाएं

  • अपना समय-विशेषताएं सेवा में ऑफर करना
  • मन से (नई युक्तियां निकालना, suggestion देना)
  • धन से (बड़े दिनों पर, प्रोग्राम के वक्त, हर महीने, आदि)

श्रेष्ठ जीवन द्वारा

  • श्रेष्ठ स्थिति-वाइब्रेशन-सन्तुष्टता द्वारा… हर्षितमुख चेहरे, शीतल दृष्टि, मीठे बोल द्वारा… सुखदाई सम्मान-पूर्वक व्यवहार, रॉयल चलन द्वारा
  • शान्त-चित्त कार्य करने के तरीके से, अन्तर्मुखता, हल्केपनपवित्रता से… श्रेष्ठ उसूल-नियम-मर्यादाओं द्वारा… सैंपल, example, आदर्श बनने से
  • धारणाओं द्वारा (रोज़ ज्ञान सुनना, योग करना, भोजन साइलेंस में बाबा की याद में करना, शुध्द भोजन, कार्य पहले 1 मिनट साइलेंस, परिस्थितियों में एकरस-अचल-अडो़ल-सकारात्मक रहना)

सार

तो चलिए आज सारा दिन… निरन्तर सेवाधारी बन, हर पल मन्सा-वाचा-कर्मणा अपने को निमित्त-निर्माण बन सेवा में busy रखे… सिर्फ़ हमें अपना समय-विशेषताएं को सेवा में ऑफर करना है, फिर बाबा अपने समय पर जैसे चाहे use करें… हमें अपनी श्रेष्ठ योगयुक्त स्थिति द्वारा सदा शान्ति प्रेम आनंद का अनुभव करते और कराते, सतयुग स्थापन करने रहना है… ओम् शान्ति

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