Skip to main content

07.10.18 की मुरली से ‘108 स्वमान की माला’ (ररवाइज: 22.01.84)

 07.10.18 की मुरली से ‘108 स्वमान की माला’ (ररवाइज: 22.01.84) 

“नामीग्रामी सेवाधारी बनने की वववध” 

1. एक रिक जगता हुआ दीपक हूं। 2. अचल वनर्विघ्न दीपक हूं। 3. अपनी ज्योवत से ववश्व को रोशनी देने वाला हूं। 

4. ववश्व की सवि आत्माओं के अज्ञान आवरण को वमिानेवाली आत्मा हूं। 5. अूंधकार में भिकने वाली आत्माओं को ज्ञान की रोशनी देने वाली आत्मा हूं। 

6. बाप से कनेक्शन जुड़वाने वाली आत्मा हूं। 7. मैं शविशाली आत्मा हूं। 8. मैं लाइि हाउस हूं। 9. मैं माइि हाउस हूं। 10. मैं नॉलेजफु ल आत्मा हूं। 11. मैं पावरफु ल आत्मा हूं। 

12. मैं सक्सेसफु ल आत्मा हूं। 13. मैं सफलता स्वरूप आत्मा हूं। 14. मैं ववजय का मैडल लेने वाली आत्मा हूं। 15. मैं रूहानी योद्धा हूं। 16. मैं सेवा के मैदान पर ववजय का झण्डा लहराने वाली आत्मा हूं।

17. मैं ववजयी आत्मा हूं। 18. मैं बाप द्वारा स्नेह, सहयोग, समीपता, सम्पूणिता के ववजयी मैडल्स प्राप्त करने वाली आत्मा हूं। 19. मैं मैडल्स के नशे में रहने वाली आत्मा हूं। 

20. मैं नवीनता का ववशेष कायि करने वाली आत्मा हूं। 21. मैं हर ववशेष कायि में ववजय का मैडलधारी आत्मा हूं। 22. मैं रूहानी नशे में रहने वाली आत्मा हूं।

 23. मैं नाम के नशे से मुि हूं। 24. मैं वनवमत्त और वनमािण हूं। 25. मैं ववजय का वतलकधारी हूं। 26. मैं अवधकार के अखुि खजाने से सम्पन्न हूं। 27. मैं महादानी आत्मा हूं। 

28. मैं दान पुण्य करने वाली आत्मा हूं। 29. मैं सदा सन्तुष्ट रहने वाली ववजयी आत्मा हूं।

 30. मैं कमजोररयों को स्वाहा करने वाली आत्मा हूं। 31. मैं सदा शविशाली आत्मा हूं। 32. मैं सदा अचल आत्मा हूं। 33. मैं सदा ज्ञान रोशनी द्वारा अूंधकार को वमिाने वाला दीपक हूं। 

34. मैं हर समय सेवा की ववशेषता में ववशेष पािि बजाने वाली आत्मा हूं। 35. मैं बाप द्वारा सवि प्राप्त हुए मैडल्स को धारण करने वाली आत्मा हूं। 

36. मैं सदा ववजय वनवित के वनिय में रहने वाली आत्मा हूं। 37. मैं अववनाशी ववजय के वतलकधारी हूं। 38. मैं सदा सवि प्रावप्तयों से सम्पन्न हूं

 39. मैं साकार पालना का पला हुआ अनुभव करने वाला वैल्युबल रत्न हूं। 40. मैं अनुभवी आत्मा हूं। 41. मैं वरदानी आत्मा हूं। 42. मैं अनेक आत्माओं की पालना करने वाली आत्मा हूँ। 

43. मैं औरों को आगे बढ़ने के वलए प्रेररत करने वाली आत्मा हूं। 44. मैं सागर के वभन्न-वभन्न सम्बन्ध की लहरों में, अनुभवों की लहरों में लहराने वाली आत्मा हूं। 45. मैं एकॉनामी के वनवमत्त आत्मा हूं। 

46. मैं समय प्रमाण सहयोगी आत्मा हूं। 47. मैं सभी को वमलाने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूं। 48. मैं अनेक आत्माओं का बाप से वमलन मनाने वाली आत्मा हूं। 49. मैं नाज़-नखरे करने से मुि आत्मा हूँ। 

50. मैं मेहनत लेने से मुि आत्मा हूं। 51. मैं मेहनत देने वाली आत्मा हूं। 52. मैं कम्पलेन्ि करने से मुि हूं। 53. मैं कम्पलीि रहने वाली आत्मा हूं। 54. मैं सदा खुशखबरी के समाचार देने वाली आत्मा हूँ। 

55. मैं मायाजीत आत्मा हूं। 56. मैं मास्िर िीचर आत्मा हूँ। 57 मैं उमूंग-उत्साह में रहने वाली आत्मा हूं। 58. मैं चक्रवती आत्मा हूँ। 59. मैं आत्माओं को समीप लाने वाली आत्मा हूं। 60. मैं मुहब्बत से मेहनत करने वाली आत्मा हूं। 

61. मैं बापदादा के वसर का ताज हूं। 62. मैं वहम्मतवान आत्मा हूं। 63. मैं बेपरवाह बादशाह आत्मा हूं। 64. मैं मास्िर प्रेम का सागर हूं। 65. मैं मास्िर शावन्त का सागर हूं।

 66. मैं शान्त वप्रय आत्मा हूं। 67. मैं प्रेम स्वरूप आत्मा हूं। 68. मैं रहमददल आत्मा हूं। 69. मैं शाूंवतदाता आत्मा हूं। 70. मैं ददलवशकस्त को ददलखुश बनाने वाली आत्मा हूं। 

71. मैं वन:स्वार्ि सच्चा स्नेही हूं। 72. मैं शावन्त और सुखमय दुवनया की मावलक आत्मा हूँ। 73. मैं सवि आत्माओं को सच्चे स्नेह के सूत्र में बाूंधने वाली आत्मा हूं। 

74. मैं ड्रामा की भावी पर अिल अचल रहने वाली आत्मा हूं। 75. मैं नई रचना का फाउन्डेशन स्िोन हूं। 76. मैं नई दुवनया का आधारमूति हूं। 77. मैं बापदादा का लाडला वसकीलधा मीठा बच्चा हूं। 

78. मैं बापदादा के ददल की आवाज हूं। 79. मैं रूहानी स्नेह की सूरत हूं। 80. मैं बापदादा के स्नेह के झूले मेंझुलने वाली आत्मा हूं। 81. मैं सदा जीते , बढ़ते, उड़ते रहने वाली सदा सफल आत्मा हूं। 

82. मैं बाप समान अपरम-अपार मवहमाधारी हूं। 83. मैं सदा एक लगन, एक उमूंग एक दृढ़ सूंकल्प में रहने वाली आत्मा हूं। 84. मैं ववश्व की सवि आत्माओं को शावन्त का सन्देश देने वाली आत्मा हूं।

 85. मैं महान आत्मा हूँ। 86. मैं सदा बापदादा की ददल पर रहने वाली आत्मा हूं। 87. मैं मधुबन का श्रृूंगार हूं। 88. मैं सदा दृढ़ सूंकल्पधारी आत्मा हूँ। 89. मैं सफलता का वसतारा हूं। 

90. मैं सदा बापदादा की ददलतख्तनशीन आत्मा हूं। 91. मैं सदा याद और सेवा की लगन में मगन रहने वाली आत्मा हूं। 92. मैं ववश्व को सदा के वलए नई रोशनी नई जीवन देने वाली आत्मा हूं। 

93. मैं सवि को सच्चे स्नेह का अनुभव कराने वाली आत्मा हूं। 94. मैं स्नेही सहयोगी आत्मा हूं। 95. मैं बापदादा की वनरन्तर सार्ी आत्मा हूँ। 96. मैं ददव्य जीवनधारी आत्मा हूं। 

97. मैं ददव्य सूंकल्पधारी आत्मा हूं। 98. मैं ददव्य बोल बोलने वाली आत्मा हूं। 99. मैं ददव्य कमि करने वाली ददव्य मूर्ति हूं। 100. मैं ददव्यताधारी सूंगमयुगी ब्राह्मण हूं। 

101. मैं श्रेष्ठ श्रृूंगारधारी आत्मा हूं। 102. मैंहर कमि में साधारणता से परे रहने वाली आत्मा हूं। 103. मैं ददव्यता की अनुभूवतयाूं कराने वाली आत्मा हूं। 104. मैं ददव्य जन्मधारी ब्राह्मण हूं। 

105. मैं ज्ञान की धनी आत्मा हूं। 106. मैं धन को भी सेवा में लगाने वाली आत्मा हूं। 107. मैं ददल से सदा पाना र्ा सो पा वलया... का गीत गाने वाली आत्मा हूं। 108. मैं सदा खुशनुम: रहने वाली आत्मा हूं। ओम शावन्त

Comments

Popular posts from this blog

07-11-2023 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

  07 -11-2023 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन “मीठे बच्चे - सावधान हो पढ़ाई पर पूरा ध्यान दो, ऐसे नहीं कि हमारा तो डायरेक्ट शिवबाबा से कनेक्शन है, यह कहना भी देह-अभिमान है'' प्रश्नः- भारत अविनाशी तीर्थ स्थान है - कैसे? उत्तर:- भारत बाप का बर्थ प्लेस होने के कारण अविनाशी खण्ड है, इस अविनाशी खण्ड में सतयुग और त्रेतायुग में चैतन्य देवी-देवता राज्य करते हैं, उस समय के भारत को शिवालय कहा जाता है। फिर भक्तिमार्ग में जड़ प्रतिमायें बनाकर पूजा करते, शिवालय भी अनेक बनाते तो उस समय भी तीर्थ है इसलिए भारत को अविनाशी तीर्थ कह सकते हैं। गीत:- रात के राही, थक मत जाना........ ओम् शान्ति। यह कौन सावधानी दे रहे हैं कि थक मत जाना - ओ रात के राही? यह शिवबाबा कहते हैं। कई बच्चे ऐसे भी हैं जो समझते हैं कि हमारा तो शिवबाबा ही है, उनसे हमारा कनेक्शन है। परन्तु वह भी सुनायेंगे तो जरूर ब्रह्मा मुख से ना। कई समझते हैं शिवबाबा हमको डायरेक्ट प्रेरणा करते हैं। परन्तु यह समझना रांग ह...

12.11.23 Morning Murli Om Shanti 22.03.96 BapDada Madhuban

12 .11.23       Morning Murli        Om Shanti   22.03.96   BapDada       Madhuban The personality of Brahmin life is to go beyond all questions and be constantly satisfied.   Today, BapDada, the Bestower of all attainments, is seeing all His children who are embodiments of full attainment. You have had a lot of attainments from BapDada, and if you were to make a list of them, it would be a very long list, and so, instead of speaking about the long list, you simply say: “Nothing is lacking in this Brahmin life.” So, BapDada is seeing that you have a lot of attainments. It is a long list, is it not? What would be the sign in the practical lives of those who have all attainments? You know this, do you not? The sign of all attainments is that the personality of satisfaction would be constantly visible on one’s face and in one’s activities. It...